'चिंगारी'
तेरा यूँ हाथों से
खींच कर
सीने से लगाना
तेरी गर्माहट से
मेरा पिघलना
मदहोश करता मुझे
मेरे बदन के दहकते अंगारे
तुझे आकर्षत करते
उकसाते
पलभर में चिंगारी का
विराट रूप लेना
दुनिया की परवाह
न करते हुए
सब भूल जाना
क्षणों में ही
ज़िंदगी जी लेना
किसी जन्नत से
कम नहीं।
(डॉ.चंचल भसीन)
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