Tuesday, July 14, 2015

रंगत-ए-बहार

तुम आओ तो रंगत-ए-बहार बदले 
वरना बरसात तो अपने पुर यौवन पर है। 
                ( डॉ. चंचल भसीन )

Friday, July 10, 2015

'शैह' ( डॉ. चंचल भसीन )

उसकी रहमतों का हिसाब नहीं रखते हम पर,
न मिलने वाली शैह पे बार-बार कोसते है उसे।
                     ( डॉ. चंचल भसीन ) 
Uss ki rahmato ka hisaab nahi rakhte hum, par !
Na milne vali shaih pe baar-baar kosate hai usse !!
         ( Dr. Chanchal Bhasin )

Monday, July 6, 2015

"में तेरी" ( डॉ. चंचल भसीन )

तेरा कदें-कदें 
इ'यां 
चानक मिलना
मिगी किन्ना रूआंदा 
नेईं दस्सी सकनी
नेईं रेही सकनी 
तेरी अिक्खयें दे सामनै
तेरे कशा दूर, 
नेईं बन्नी सकनी 
अपने-आपै गी द'ऊं बंडे च
हाँ, 
तुगी भरम होना 
चली गेई मिगी छोडियै 
पर, 
मेरे दिलै दी बी 
कदें 
पुच्छियै दिक्ख
सब लब्भग साफ़-साफ़ 
केह् किन्ना मुश्कल ऐ
उत्थै इ'यां टिकना ते
छोडियै जाना 
बस 
में तेरी आं मिगी पता नेईं?
पर तू मेरा ऐं में मित्थे दा ऐ।
      ( डॉ. चंचल भसीन )