"याद" (डॉ. चंचल भसीन)
तुम याद आए, बहुत याद आए
जब सूरज ने दी दस्तक
खिड़की दरवाज़े से अंदर झाँका
चुपके से कानों में
कहा गुड मोर्निंग
तुम याद आए, बहुत याद आए।
तेरे बोल मेरे कानों में गूँजने लगे
मुझे तेरी यादों में भिगोने लगे
जब इंतज़ार करने पर
आया न कोई संदेशा
तुम याद आए बहुत याद आए
पर दिल न माने के
तुम न आओ गए
दिन निकला उदासी में
दिल में दहके अंगारे
शाम होते
सूरज भी निकल पड़ा अपने
पड़ाव की ओर
छोड़ अंधेरे में तड़पता मुझे तब
तुम याद आए बहुत याद आए
( डॉ. चंचल भसीन )
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