Wednesday, May 25, 2016

दुआसी ( डॉ. चंचल भसीन )

दिन निकली जा, 
रौले-रप्पे,
जक्को-तक्के, 
संझ घरोंदे,
भित्त ठ्होरै ते 
आई पुजदी,
मेरी साथन, 
मेरी अपनी,
मेरी दुआसी,
बस्स दुआसी,
छड़ी दुआसी!
(डॉ. चंचल भसीन)

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