Tuesday, July 7, 2020

भीड़ (डॉ. चंचल भसीन)

‘भीड़’ 
रिश्तों की भीड़ में भी 
तन्हा, 
अकसर चारदीवारी में,
अक्षरों को 
तरतीब में 
लगाने की कोशिश करते हैं।
  ( डॉ. चंचल भसीन )

No comments:

Post a Comment