Thursday, March 24, 2016

"असर" (डॉ. चंचल भसीन)

"असर"
समझ न पाऊँ 
क्यों तेरे दीदार को 
तरसे आँखें
पता है जब के 
तूनें बदल लिया है रास्ता। 
यह तेरी मोहब्बत का 
असर है शायद
झूठी ही सही 
पर जब की थी 
उसमें कहीं पहनावा 
असली पहना था तुमनें। 
   (डॉ. चंचल भसीन)

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