Saturday, August 15, 2015

तड़प ( डॉ. चंचल भसीन )

मेरे दिल की तड़प को गर तुम 
हँसी में उड़ाते हो तो
क्या समझूँ कि 
इससे तुम मुझे क्या जताते हो।
      ( डॉ. चंचल भसीन )

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