आज मेरे साथ एक घटना ऐसी घटित हुई कि जिसे पढ़कर थोड़ी देर के लिए आप भी दंग रह जाएँगे बहुत ही पढ़ी-लिखी अध्यापक जो पढ़ाई-लिखाई के मामले में तो अव्वल पी.एच.डी. पर दिमाग़ से शून्य। यह मेरा ख़्याल है आप भी अपना अंदाज़ा लगा सकते है कि उसका सामान्य ज्ञान कितना है और किस सदी में रह रही हैं--
बात यूँ शुरू हुई कि स्कूल में किसी अध्यापक के पर्स से पैसे चोरी हो गए तो सभी इसी चिंता में की आए दिन कभी बच्चों के, कभी अध्यापकों के पर्सों से पैसे चोरी होते रहते हैं, ऐसा क्यूँ? इसे कैसे रोका जाए, क्या क़दम उठाए जाएँ, बगैरा-बगैरा। सभी चिंतित थे। बातों-बातों में एक अध्यापक ने कहा कि यह समस्या तक़रीबन सभी शिक्षा संस्थानों की है चाहे सरकारी हों या निजी। ऐसी घटनाएँ नित-प्रतिदिन होती रहती हैं तो इस अध्यापक का सामान्य ज्ञान देखकर मैं दंग रह गई। आप भी मुझ से सहमत होंगे। उसका कहना था ," Actually मैम Schedule Caste बच्चे पढ़ते हैं न इसलिए।" उसकी बात सुनकर एक क्षण के लिए मैं उसे देखती रह गई कि क्या वोला है उसने। मैंने उसकी बात को काटते हुए ग़ुस्से से पूछा," मैम यह कैसे कि Schedule Caste बच्चे पढ़ते हैं तो चोरी होती है इसे थोड़ा बताएँगी।" इसकी बात मेरी आपे से बाहिर थी। मेरा यूँ पूछना उसे लगा कि ग़लत जगह यह बात कही है। ऐसे बेशर्म हो गई कि मूहं इधर-उधर करने लगी। कोई उत्तर न दे सकी। बात को वहीं पर छोड़कर दुबारा उसी मुद्दे पर बात करने लगे विना कोई हल निकले छोड़ दिया।
"मैं आप सबसे एक प्रश्न करना चाहूँगी कि अगर समाज के निर्माता ऐसे होंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ी, कब ऐसे जात-पात, ऊँच-नीच के बंधनों से मुक्त हो पाएगी।"
घर आने पर भी मुझे उसके द्वारा कही गई बात मेरे कानों में गूँज रही थी। सोचा क्यों न इसके लिए तत्थें ढूँढे जाएं, "क्या वास्तव में ऐसा है कि Schedule Caste बच्चे चोरी करते हैं?" पर मुझे कहीं से भी ऐसी कोई जानकारी नहीं मिल सकी अगर आप के पास कोई ऐसे सही तत्थें हैं तो कृपा करके मुझे ज़रूर भेजे ताकि मैं भी अपने ज्ञान में बढ़ोतरी कर सकूँ।
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