डोगरी साहित्य,Dogri literature, History of Dogri literature, Growth of Dogri literature, Dogri Poetry, Book review & Shayri, Dr. Chanchal Bhasin, dogri Writers.
Sunday, June 4, 2017
Women Poetry Recitation

Wednesday, February 22, 2017
"आख़िर क्यों" ( डॉ. चंचल भसीन )
"आख़िर क्यों"
आख़िर क्यों हर बार
मुझे ही दीवारों की
चार-दीवारी में बाँधा गया?
क्यों रिवाजों की ज़ंजीरों
से झकड़ा गया?
क्यों अपनी इज़्ज़त की
दुहाई देकर
जिमीं में दबा दिया?
जब आया बंश ख़तरे में
तो.........
अब बंश बचाने की
ख़ातिर
लपेटा जा रहा मुझे
रंगीन सपनों में
गढ़े जा रहे क़सीदे
सशक्तिकरण के
सदियों से माना है
औरत
शक्ति का प्रतीक
तरस मत खाओ
अब मुझ पर
हक़ मुझे लेना आता है
बस काँटे मत बिछाओ
मेरी राहों में।
( डॉ. चंचल भसीन )

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